High court orders to remove illegal encroachment from National Highway-22

शिमला हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग-22 से अवैध कब्जे हटाने के दिए आदेश

High court orders to remove illegal encroachment from National Highway-22

High court orders to remove illegal encroachment from National Highway-22

शिमला:हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राष्ट्रीय राजमार्ग-22 से सभी अवैध कब्जे हटाने के दिए आदेश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि कोई भी सिविल अदालत इसके बारे में सुनवाई नहीं करेगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने 30 जून तक पंथाघाटी से असीम ट्रेडिंग कंपनी तक पैदल पथ मार्ग के निर्माण को सुनिश्चित करने को कहा है। अदालत ने अपने आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट 4 जुलाई तक तलब की है। याचिकाकर्ता रमेश कुमार और अन्य की ओर से दायर याचिका के माध्यम से इस पैदल पथ मार्ग के निर्माण को जल्दी पूरा किए जाने की गुहार लगाई थी। अदालत को बताया गया था कि राष्ट्रीय राजमार्ग-22 पर बनने वाले इस मार्ग को अवैध कब्जों की वजह पूरा नहीं किया जा रहा है।

अदालत ने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि फुटपाथ, सड़कें, राजमार्गों की अधिग्रहीत चौड़ाई सार्वजनिक संपत्तियां हैं, जो आम जनता की सुविधा के लिए हैं। इनका निजी उपयोग नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि सड़कों की अधिग्रहीत चौड़ाई पर अवैध कब्जा करने से भविष्य में इसका विस्तार नहीं किया जा सकता है। इन अवैध कब्जों से मुक्त यातायात में स्थायी बाधा उत्पन्न होती है और यहां तक कि पैदल चलने वालों की सुरक्षा को भी दांव पर लगा दिया जाता है।

अदालत ने अपने पिछले निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों और अन्य सड़कों पर प्रशासन के नाक के नीचे अवैध कब्जे हो रहे हैं। अदालत ने हरनाम सिंह के मामले का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश भर के सभी हाईवे से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए गए थे। उसके बाद लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ने शपथपत्र के माध्यम से हाईवे पर किए कब्जों का विवरण सौंपा था। अदालत को बताया गया था कि राजस्व विभाग की ओर से सीमांकन के अभाव में अतिक्रमणकारियों को बेदखल नहीं किया जा सकता है।

3 नवंबर 2022 को अदालत ने कहा था कि अवैध कब्जे हटाने के लिए लोक निर्माण विभाग सीमांकन का इंतजार क्यों कर रहा है। जबकि, सड़क की अधिग्रहीत चौड़ाई पर ही अतिक्रमण किया गया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि ऐसी भूमि जो किसी व्यक्ति की संपत्ति नहीं हैं या स्थानीय अधिकारियों में निहित नहीं हैं वह सरकार की संपत्ति हैं। सभी खाली भूमि पर सरकार का ही अधिकार है जब तक कि कोई व्यक्ति अपना अधिकार स्थापित नहीं कर पाता। अदालत को बताया गया कि अवैध कब्जों को हटाने के बारे में स्थिति स्पष्ट होने के बावजूद भी अवैध कब्जाधारियों को नोटिस जारी किया जा रहा है। अदालत ने कहा कि राजमार्गों से अवैध कब्जों को हटाने के लिए नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं है।